... Mann ka Meet - 1 in Hindi Short Stories by A U M books and stories PDF | .... मन का मीत. - 1

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.... मन का मीत. - 1

....... सूबह के 10 बज रहे थे। हवाओं में काफी ठंडक थी।चूंकि यह मार्च का आधा माह बीत जाने की सुबह होते हुए भी काफी सर्द मौसम था।खेतों में। गेंहू की फसल कटने के इंतजार में खड़ी थी।
कई जगह चने के खेत थे साथ ही साथ ज्वार भी थी।
अपवाद की स्थिति में रास्ते में नीरज ने कुछ कुल मिलाकर दो चार जगहपर ही तरकारी की खेती देखी थी।
वह जान पा रहा था की ,तरकारी की खेती इन जगह में क्यों नहीं करते। हर रोज तरकारी के बाजार लेकर जाना ही पड़ता था।नाशवंत होने का कारण इसका भंडारण नही हो सकता था।कोल्ड स्टोरेज जैसे सुविधा तो है लेकिन हर कोई इनका लाभ नहीं उठा सकते।इन फसलों में लागत अधिक थी और पूरी तरह से यह फसल बाजार मूल्य के अधीनस्थ थी। कभी कभी लगी हुई। लागत भी निकल जाए तो ठीक हुआ ऐसा लगता था। और कभी कभी यह लोगों को बहुत कुछ दे देती थी।
बजाय इसके गेहूं चना ज्वार और कपास इन फसलों को ये लोग कुछ दिन तथा कुछ माह तक जमा कर सकते थे,यानी उनका भंडारण होता था।और बाजार में होने वाली तेजी का लाभ उठा सकते थे।
पास ही खेत में हरिया अपनी भैंस को पानी पिलाने जा रहा था।हरिया ओ हरिया, नीरज की आवाज उसे सुनाई नही दी।
वह अपनी ही धुन में चल रहा था।आगे आगे भैंस बीच में हरिया और उनके पीछे बछड़ा।यह जमावड़ा जा रहा था उनको पानी पिलाने तथा चारे का प्रबंध करने।
खेत के काम लगभग अब खतम हो चुके थे।सुबह और शाम में ही कुछ रौनक सी रहती थी गांव में।दोपहर में काफी गर्म माहौल हो जाता था।
हरिया से कोई उत्तर न पाकर , नीरज ने अपनी 10 साल पुरानी मोटर सायकिल की जरा सी गति को बढ़ाकर उसके सामने से होकर रोक दिया।हालांकि अब इनकी दूरी काफी थी ।क्योंकि नीरज बखूभी जानता था की इन जानवरों का कोई भरोसा नहीं होता।यह तेज आवाज से बौखला सकते है।इसलिए उसने हॉर्न बजाने के बजाय उसे आवाज देना अधिक सही समझा।
चूंकि भैंस के गले में घंटी होने के कारण वह सुन नही पाया था।
अरे नीरज भैया ....हरिया ने झूठे आश्चर्य से भरे आवाज और नजरों से उसके तरफ देखते हुआ कहा। अरे हरिया बाबू ,आपका वादा था कपास की फसल पर पैसा चुकाने का ।
सेठ ने आपको याद किया है।उनका कहना है आपने कपास बेच दी है।तो जो बीज और खाद आपने उधार ले आए है उनका हिसाब चुकता कर दो।
हरिया कुछ आगे बोल पाता,उतने में ही नीरज ने एक ही दम में पूरी बात कह दी।आज न कल आपको तो ये कर्जा चुकाना ही है।कब तक टालते रहोगे।
यह दोनो आपस में बाते कर रहे थे की ,नीरज को उसके सेठ का फोन आया।
हैलो,...
हा सेठजी...
कहा हो..
जी रास्ते में ही हूं..
सेठ.....ठीक.जल्दी आना मुझे कही बाहर जाना है।
इतना कहकर उसने फोन काट दिया।
इधर हरिया को जल्द जल्द पैसे लेकर आने को लेकर वह वहां से चल दिया।
अभी दुकान का काम खतम हो गया था।वह अब कल के राधा के तबियत को लेकर परेशान हो रहा था।
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